बिना सर्जरी के वेरीकोसील का इलाज संभव

27 October, 2020

डॉ। वीरेंद्र श्योराण
वरिष्ठ सलाहकार एवं एंडोवस्कुलर इंटरवेंशनल स्पेशलिस्ट
मेदांता हॉस्पिटल
गुरुग्राम दिल्ली भारत

डॉ। वीरेंद्र श्योराण, मेदांता अस्पताल, गुड़गांव (गुरुग्राम), भारत के वरिष्ठ सलाहकार और एंडोवस्कुलर विशेषज्ञ है ।यह ब्लॉग आम जनता में और विशेष रूप से वेरीकोसील (Varicocele) से पीड़ित लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से लिख गया है।

डॉ। श्योराण को नियमित रूप से वेरीकोसील समस्या के बारे में देश भर से टेलीफोनिक परामर्श कॉल प्राप्त होते है। इतने वर्षों में, डॉ। श्योराण ने महसूस किया है कि हमारे देश में अभी भी कई मरीज़ निजी भागों को प्रभावित करने वाली अपनी समस्याओं का खुलासा करने में बहुत शर्म महसूस करते हैं। वास्तव में कई रोगियों को Varicocele रोग के पीछे की मूल समस्या समझ में नहीं आती है। कई रोगियों को तो “Varicocele” शब्द का सही उच्चारण बोलने में भी कठिनाई का होती है, और इसलिए इसके बारे में खुल के बात करने में शर्म महसूस करते है।

जब किसी को वेरीकोसील नामक बीमारी होने का पता चलता है, तो यह उसके और उसके परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं होता।एक बार Varicocele का पता चलते ही, मरीज के मन में जो सबसे बड़ा सवाल उठता है, वह यह है की इसका सर्वश्रेष्ठ इलाज कैसे होगा और कौन करेगा? हर रोगी वेरीकोसील के इलाज के लिए सबसे अच्छा उपलब्ध विकल्प खोजने की कोशिश करता है।सबसे पहले हर व्यक्ति अपनी बीमारी का इलाज केवल दवा से ठीक करने की कोसिस करता है।मरीजों का सर्जरी से बचने की किसी भी संभावना के लिए पता करना स्वाभाविक है। किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक सर्जरी करवाना और निजी अंग के पास सर्जरी के चीरे का निशान पसंद नहीं होता।

वेरीकोसील की बीमारी (Varicocele) असल मे होती क्या है?

वेरीकोसील पुरुष के वृषण (Testicle) और स्क्रोटम ( अंडकोश की थैली) की नासो की बिमारी हैं। कुछ कारणवश जब इन नासो में सूजन आ जाती है तब वेरीकोसील की समस्या पैदा हो जाती है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों को कभी भयानक दर्द (scrotal pain) तथा कभी संतानहीनता (Male Infertility) की दिक्कत आ जाती है।वेरीकोसील की वजह से कुछ युवा लड़के अपनी सैन्य शारीरिक परीक्षा में खारिज हो जाते हैं।

किस उम्र के पुरुष वेरीकोसील का शिकार बनते हैं ?

आमतौर पर 15 वर्ष से 40 वर्ष की आयु के बीच पुरुष वेरीकोसील का शिकार बनते हैं।वेरीकोज नसों में आमतौर पर वॉल्व होते हैं जो रक्त को टेस्टिकल्स तथा स्क्रोटम से ह्रदय की ओर ले जाते हैं। जब ये वॉल्व काम करना बंद करते हैं, तब रक्त एक ही स्थान पर जमा हो जाता है जिससे स्क्रोटम में मौजूद टेस्टिकल्स के आस-पास की नसें फूल जाती हैं और वेरीकोसील की समस्या पैदा हो जाती है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों में कुछ समय बाद वीर्य का बनना कम हो जाता है और इसकी गुणवत्ता में भी गिरावट आती है।अध्ययनों से पता चला है कि वेरीकोसील का इलाज होने के बाद 90 से 100 प्रतिशत तक मरीजों को दर्द से राहत मिलती है ओर 50 से 70 प्रतिशत तक मरीजों में वीर्य बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

क्या होते है वेरीकोसील के लक्षण ?

महत्वपूर्ण बात यह है कि वेरीकोसील के लक्षण किसी व्यक्ति की उम्र और पेशे के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। किसी किसी वेरीकोसील के मरीज को जरा सी भी तकलीफ नहीं होती जब कि किसी को इतना भयानक दर्द होता है कि मरीज खड़ा भी नहीं रह पाता। कई बार भारी वजन वाला कोई सामान उठाने पर इसके लक्षण उभर आते हैं।युवा आमतौर पर कुछ भारी काम, दौड़ने, उच्च नोट गायन, जिम, स्क्वैश, व्यायाम, या लंबी यात्रा के बाद अपने अंडकोश में दर्द की भावना की शिकायत करते है। काफी जवान बच्चे, मिलिट्री सर्विस की फिजिकल टेस्ट मैं वेरीकोसील की बीमारी के कारन नापास कर दिए जाते है और उनकी सेना मैं भर्ती होने की इच्छा का अंत हो जाता है।

वेरीकोसील उपचार के तरीके :

अनुसंधान से यह तो निश्चित हो गया है की वेरीकोसील का उपचार सिर्फ दवाओं से नहीं हो सकता। वेरीकोसील अगर तकलीफ देने लगे तो उसका इलाज आवशक हो जाता है। अधिकतर हस्पतालों मैं इसका इलाज़ केवल पुरानी विदी यानि ओपन एवं माइक्रोस्कोपिक सर्जरी से ही किया जाता है। वेरीकोसील की सर्जरी के अंतर्गत यूरोलॉजिस्ट (Urologist) चीरा लगाकर खराब धमनियों (नसों) को बांध देते है, ताकि सही तरह से काम रही धमनियों (नसों) के माध्यम से रक्त ह्रदय की ओर वापस लौटे. लेकिन इस सर्जरी के साथ कई बड़ी समस्याएं है,जैसे की चीरा लगाना, बेहोशी की ज़रुरत, मरीज को स्वस्थ होने में (Recovery) बहुत लंबा समय लगना। इससे जुड़ा एक खतरा यह भी है कि इससे हाइड्रोसील (अंडकोष में पानी का जमना) की समस्या पैदा हो सकती है।

अग्रिम और आधुनिक विधि से वेरीकोसील का इलाज :

सर्जरी के बिना (गैर-शल्य) वेरीकोसील की समस्या से निजात दिलाने के क्रम में एंबोलाइजेशन (Embolization) एक बहुत ही कामयाब औरअसरदार विदी साबित हुई है। इसमें मरीज को कुछ घंटों तक ही डाक्टरी निगरानी में रखना पड़ता है। एंबोलाइजेशन के पश्चात, पेशेंट उसी दिन घर लौट सकते है और अपनी दिनचर्या भी शुरू कर सकते है।

एम्बोलाइजेशन (Embolization) के कई फायदे:

  • एम्बोलाइजेशन पूरी तरह से लोकल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है।
  • किसी भी हानिकारक बेहोश करने वाली दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • रोगी पूरी तरह से जागृत रहता है और कंप्यूटर स्क्रीन पर पूरी प्रक्रिया देख सकता है।
  • एम्बोलाइजेशन प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द नहीं होता है।
  • कोई कट या निशान नहीं आता है।
  • उसी दिन अस्पताल से छुट्टी हो जाती है।
  • रोगी उसी दिन से सामान्य गतिविधि फिर से शुरू कर सकते हैं।
  • एम्बोलाइजेशन पूरी तरह से नस के भीतर से किया जाता है, इसलिए सर्जरी के विपरीत एम्बोलाइजेशन में आस पास चोट का कोई खतरा नहीं है।
  • सफलता की दर सर्जरी से भी बेहतर है।
  • एम्बोलाइजेशन द्वारा असफल सर्जरी के कई मामलों का इलाज किया जाता है।
  • एम्बोलाइजेशन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि प्रत्येक चरण X-ray मैं देख कर किया जाता है और इसलिए इलाज सौ प्रतिशत कामयाब होता है और साइड इफ़ेक्ट बिलकुल निम्न होते है।

ओपीडी परामर्श के दौरान एम्बोलाइजेशन के वास्तविक प्रक्रियात्मक चरणों को गहराई से समझाया जाएगा। गुड़गांव एवं नई दिल्ली स्थित मेदांता अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार, एंडोवस्कुलर स्पेशलिस्ट और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ। वीरेंद्र श्योराण के अनुसार, वेरीकोसील एंबोलाइजेशन (varicocele embolization) एक गैर-सर्जिकल प्रक्रिया है जो varicocele के उपचार के संदर्भ में बहुत प्रभावी है। उन्होंने एंबोलाइजेशन द्वारा 2500 से अधिक वेरीकोसील से पीड़ित रोगियों का सफलतापूर्वकइलाज किया है।

वेरीकोसील के सभी रोगियों को सलाह है कि वे अपनी समस्या से शर्मिंदा नहीं हों। डॉ। वीरेंद्र श्योराण (वैस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ) जैसे विशेषज्ञ से परामर्श करें और अपनी समस्या और सर्वोत्तम उपचार विकल्पों के बारे में विस्तार से चर्चा करें।

यदि आप सर्जरी के बिना अपने वैरिकोसेले का इलाज करना चाह रहे हैं तो कृपया बेझिझक सलाह जरूर लें (veeru40395@gmail.com or whatsapp 9868887666)

डॉ.वीरेंद्र श्योराण
मेदांता हॉस्पिटल
सेक्टर 38 गुड़गांव, भारत

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